अंक: October 2014
 
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भारत निर्माता के प्रति
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परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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संपादकीय
 
स्मार्ट भारत की ओर...

img पिछले कुछ वर्षों में यह प्रश्न हर किसी की कल्पना का केंद्र बन गया है कि हम स्मार्ट जीवन कैसे जी सकते हैं। बढ़ती जनसंख्या और तेजी से होते शहरीकरण ने लोगों को बड़े पैमाने पर गांवों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन के लिए विवश कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा, परिवहन, जल, आवास एवं सार्वजनिक स्थानों पर बड़ा दबाव पड़ा है। नीति निर्माता इन समस्याओं को हल करने के लिए रास्ते तथा साधन तलाशने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। स्मार्ट शहरों जैसे उपायों की अधिक से अधिक आवश्यकता अनुभव की जा रही है, जो एक ओर तो सक्षम एवं संवहनीय होंगे और दूसरी ओर आर्थिक समृद्धि तथा सामाजिक कल्याण के कारण भी बनेंगे।

पिछले कुछ वर्षों में यह प्रश्न हर किसी की कल्पना का केंद्र बन गया है कि हम स्मार्ट जीवन कैसे जी सकते हैं। बढ़ती जनसंख्या और तेजी से होते शहरीकरण ने लोगों को बड़े पैमाने पर गांवों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन के लिए विवश कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा, परिवहन, जल, आवास एवं सार्वजनिक स्थानों पर बड़ा दबाव पड़ा है। नीति निर्माता इन समस्याओं को हल करने के लिए रास्ते तथा साधन तलाशने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। स्मार्ट शहरों जैसे उपायों की अधिक से अधिक आवश्यकता अनुभव की जा रही है, जो एक ओर तो सक्षम एवं संवहनीय होंगे और दूसरी ओर आर्थिक समृद्धि तथा सामाजिक कल्याण के कारण भी बनेंगे।

यह सच है कि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किंतु फिलहाल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो तिहाई हिस्सा शहरी क्षेत्र से आता है। यह तथ्य कि शहर भारत के आर्थिक विकास के संचालक हैं, हमारे शहरों में अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाओं तथा सेवा आपूर्ति प्रणालियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। स्मार्ट सिटी मिशन स्वच्छ जल की पर्याप्त आपूर्ति, सफाई, ठोस कचरा प्रबंधन, प्रभावी शहरी परिवहन एवं सार्वजनिक परिवहन, मजबूत आईटी संपर्क, गरीबों के लिए किफायती आवास जैसी प्रमुख ढांचागत सेवाओं के इंतजाम पर जोर देता है। देश भर में 100 स्मार्ट शहर बनाने का सरकार का यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम समावेशी वृद्धि पर आधारित चतुर एवं सतत विकास को सुनिश्चित करने के लक्ष्य पर केंद्रित है। यह मिशन 2015-16 से 2019-2020 के बीच पांच वर्ष में 100 शहरों को दायरे में लेगा। समावेशी प्रकृति के ऐसे स्मार्ट शहर सर्वांगीण विकास के लिए अत्याधुनिक आईटी उपकरणों का प्रयोग करते हुए शहरी गरीबों तथा वंचित वर्गों के लिए रोजगार के और अवसर सृजित करेंगे। अटल मिशन फाॅर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफाॅर्मेशन (अमृत) स्मार्ट सिटीज मिशन के लिए पूरक का कार्य करेगा। स्मार्ट सिटी मिशन एवं अमृत पर क्रमशः 48,000 करोड़ रुपये और 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं।

एक अन्य कार्यक्रम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार झुग्गीवासियों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों एवं कम आय वाले वर्गों से आने वाले लोगों के लिए शहरी क्षेत्रों में 2 करोड़ किफायती मकानों के निर्माण पर अगले सात वर्ष में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। आजीविका की कठोर वास्तविकता से जूझ रहे लाखों झुग्गीवासियों एवं शहरी गरीबों के लिए यह वरदान सरीखा होगा। सूचना एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करते हुए अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाएं एवं प्रभावी सेवा प्रणाली उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ स्मार्ट सिटीज मिशन सामाजिक एवं आर्थिक विभाजन पाटने में योगदान करेगा। साथ ही अन्य देशों के स्मार्ट शहरों की नकल करने के बजाय भारत को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी रणनीतियां तैयार करनी होंगी। प्रौद्योगिकी विशेषकर आईटी क्षेत्र में महारत तथा दक्ष कर्मचारियों की पर्याप्त उपलब्धता स्मार्ट सिटीज परियोजना के क्रियान्वयन में भारत के लिए लाभप्रद हैं। जनता के सही रवैये, प्रभावी प्रशासन एवं भ्रष्टाचार उन्मूलन से ही भारत स्मार्ट जीवन के युग में प्रवेश करने तथा अपने नागरिकों के लिए अधिक स्मार्ट दुनिया बनाने की आशा कर सकता है। ।

 
 
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