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स्वच्छ भारत अभियान में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्ता संदीप कुमार पाण्डेय |
दुनिया में 2.6 अरब लोगों केपास शौचालय की सुविधा नहीं हैं और उनमें सेलगभग 65 करोड़ लोग भारत में रहतेहैं। स्वच्छता की इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने ‘महात्मा गांधी स्वच्छ भारत कार्यक्रम’ की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम की सफलता तथा विशेष तौर पर इसका टिका रहना संभवत: सामाजिक संरचनात्मक शक्तियों केसाथ जुड़नेपर निर्भर करता है,जो निन्म स्वच्छता स्थिति को संचालित करती है। इस अध्ययन का उद्देश्य भारत में स्वच्छता केसामाजिक संरचनात्मक संदर्भ की खोज करना है। हम स्वच्छता केएक बहुभिन्नरूपी मॉडल का प्रस्ताव देतेहैं तथा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण– III से लिए गए आंकड़ों केसाथ इसके अनुभवजन्य वैधता का मूल्यांकन करते हैं। हम पाते हैं कि स्वच्छता की स्थिति की बेहतरी में आधुनिकीकरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कार्यक्रम सफल हो सके,इसकेलिए मज़बूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है,जो आधुनिक सुख सुविधाएंतथा जनस्वास्थ्य शिक्षा को लोगों के दरवाज़े तक लेजाए।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जन्मतिथि 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई और इस अभियान को नागरिक कर्तव्य से जोड़ कर राष्ट्रभक्ति की भावना से संजोया गया। हालांकि पिछली सरकारों ने भी इस तरह के कई प्रयास किये हैं लेकिन इस अभियान को मिल रहा व्यापक जनसहयोग और प्रचार-प्रसार, त्वरित और प्रभावी संचार क्रांति की ओर इंगित करता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि स्वच्छ भारत अभियान और डिजिटल इंडिया का सम्यक अध्ययन किया जाये।
सोशल मीडिया और कन्वर्जेंस, एप्लीकेशंस और डाटा ट्रांसफर स्पीड में आये क्रांतिकारी बदलाव, सुपरकम्प्यूटर्स की बढ़ती डाटा प्रोसिस्सिंग क्षमता ने डाटा प्रबंधनऔर शोध के आधार पर नयी संभावनाओं को जन्म दिया है। फलस्वरूप सरकारी नीतियों के लिए सुविधापूर्वक और पादर्शिता के साथ क्रियान्वित होने की संभावनाओं को भी बल मिला है। ‘डिजिटल इंडिया’ का उद्देश्य भारत को तकनीकी दृष्टि से मजबूत बना सशक्त समाज और ज्ञान- अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। विकास की नयी परिभाषा स्मार्ट सिटी के रूप उभर कर, स्वस्थ और सबल नागरिक जीवन की तस्वीर को सामने रखती है। इसलिए डिजिटल इण्डिया अभियान के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सरकारी सेवाओं का लाभ सभी को सुचारू ढंग मिले तथा स्मार्ट सिटी की नयी परिकल्पना के लिए आवश्यक तकनीक, संसाधन और अनुभव सामने आयें। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में आये बदलावों के प्रत्यक्ष प्रभाव को विनिमय, अपराध नियंत्रण, मीडिया, राजनीती, बाज़ार, विपणन, स्वास्थ्य, शिक्षा, शासन आदि में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है और ऐसे में स्मार्ट सिटी को भी डिजिटली स्मार्ट बनना होगा।
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