अंक: October 2014
 
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भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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रंजीत मेहता
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पर्यावरण भी रहे स्मार्ट
प्रभांसु ओझा

शहर तो स्मार्ट बन जाएंगे मगर वहां रहने वाले लोगों को कैसे स्मार्ट और स्किल्ड बनाया जाएगा क्योंकि कोई भी शहर स्मार्ट तो वहां रहने वाले नागरिकों से ही बनता है। क्या स्मार्ट शहरों की तकनीकी पर्यावरण की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम होगी यह एक बड़ा सवाल है और इसका सीधा सा जवाब यह है कि तकनीकी कितनी भी सक्षम हो मगर लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरुक रहना होगा तभी शहर असली मायनों में स्मार्ट होगा

शहर शब्द सुनते ही हमारे मन में एक ऐसी सपनों भरी दुनिया के ख्याल तैरने लगते हैं जहां उंफचे-उंफचे महल हैं, बड़े-बड़े फ्रलाईओवर्स हैं, जहां तेज गति से भागती गाड़ियां हैं, जहां घर से थोड़ी दूर पर स्कुल और अस्पताल है, जहां हमारे एक फोन काॅल से सेकंडों में फलिस के लोग हमारी सहायता को उपलब्ध होते हैं और इन सब के बीच हौसलों के पंख लगाए जिंदगी उड़ रही होती है। एक ऐसी दुनिया में जहां दिन और रात के फासले खत्म हो जाते हैं। ऐसे में अगर बात स्मार्ट शहर की हो तो कहना ही क्या। जोकि सूचना और संचार तकनीकी पर आधारित होगा और डिजिटल इंडिया के सपने को भी साकार करेगा। आम जनमानस शहर को सुविधाओं का संसार ही मानता है हालत भले ही इससे उलट हों। क्या आप यकीन कर पाएंगे कि शहर की हवाओं में खुशबू की बजाए जहर घुलता जा रहा है। शहर का बिना फिल्टर किया सामान्य जल पीने से हम तमाम बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। हर दिन शहर पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है मगर संसाधन सीमित ही हैं।

एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर जबर्दस्त दबाव होगा। किसी भी शहर की रूपरेखा में आठ महत्वपूर्ण विशेषताएं होती हैं। पहला है सरकारी प्रशासन, दूसरा ऊर्जा-पानी, बिल्डिंग, पर्यटन, यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा और अंतिम सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिंदु हैं पर्यावरण। ये ऐसे बिंदु हैं जो एक शहर में होने चाहिए। ऐसे में बिना किसी समुचित योजना के इन सुविधाओं की कल्पना भी शहरों में नहीं की जा सकती।

 
 
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