अंक: October 2014
 
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पृष्ठ कथा 
भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
भारतीय रेलः संपर्क की सुनिश्चितता
 सुनील कुमार
    भारतीय रेल, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा परिवहन एवं संभारतंत्र नेटवर्क है और रोजाना 21000 से ज्यादा रेलगाडि़यों का संचालन करता है। यह उपमहाद्वीप में फैले लगभग 8000 स्टेशनों को जोड़ते हुए रोजाना लगभग 2.5 करोड़ यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए लगभग 13000 रेलगाडि़यों का परिचालन करता है। यह आस्ट्रेलिया की समस्त आबादी के संचालन के बराबर है। यह प्रतिदिन करीब 30 लाख टन माल की ढुलाई करने के लिए 8000 से ज्यादा मालगाडि़यों का संचालन करता है। इसका 65000 किलोमीटर मार्ग का नेटवर्क पृथ्वी की परिधि से लगभग डेढ़ गुणा से है। इस संगठन को संचालन एवं वित्तीय दृष्टि से मजबूत बनाए जाने की जरूरत है.

       सन् 1850 से पहले, देश में एक भी रेलवे लाइन नहीं थी। सन् 1853 में पहली रेलवे लाइन के साथ इस परिदृश्य में बदलाव आया। आज, भारतीय रेल परिवहन नेटवर्क देश के दूर-दराज के इलाकों को जोड़ता है। यह वर्ष 2012-13 में 10080.9 लाख टन (अर्थात एक अरब से अधिक) प्रारंभिक माल लदान के साथ उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया जिनमें चीन, रुस और अमेरिका शामिल हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान भारतीय रेल ने 1.05 अरब टन राजस्व उपार्जक यातायात पूरा किया और वर्ष 2014-15 में इसके 1.1 अरब टन की ढुलाई किए जाने की संभावना है।

   भारतीय रेल हमारे राष्ट्र की जीवन रेखा है। यह संतुलित क्षेत्रीय विकास हेतु जरूरी संपर्क और एकीकरण उपलब्ध कराने के लिए देश के कोने-कोने तक फैली है। पिछले 64 वर्षों में, माल लदान में 1344 प्रतिशत और यात्री किलोमीटर में 1642 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मार्ग किलोमीटर में सिर्फ 23 प्रतिशत और दोहरे एवं बहुल मार्ग की लंबाई में सिर्फ 289 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारतीय रेल की पिछले 64 वर्षों की प्रगति की गाथा तालिका 1 में देखी जा सकती है।

  

 
 
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