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                          संपादकीय | 
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                                       भारत निर्माता के प्रति 
सबेरे सबेरे दरवाज़े की घंटी बजती है। अखबार वाला अखबार  फेंकते हुए तेज़ी से निकल  जाता  है । हम जल्दी जल्दी तयार  और अपने अपने कार्यालय , कारखाने या दुकान जाने  के लिए रिक्शा,  ऑटो या बस पकड़ने निकल जाते हैं ।  कार्यस्थल  पर पहुंचकर हम पाते हैं कि चौकीदार सम्मानपूर्वक  कार्यस्थल  सुरक्षा  में लगा  सफाईकर्मी भी अपने कार्यों का बखूबी रहे हैं । एक ठेठ सरकारी कार्यालय में हम अपने साथ करने  वाले निजी स्टाफ और सहयोगियों से  मिलते हैं । इन सभी तरह से कामगारों, अखबारवाला, ऑटो ड्राइवर  , रिक्शेवाला , चौकीदार , अर्दलियों, सफाईकर्मियों,  कंप्यूटर  संचालकों के बीच एक समानता है और वह है इन सभी का असंगठित क्षेत्र से संबंध  होना । सही मायने में , चाहे वह  संबंधित हो या फिर जीवन से जुड़ा कोई पक्ष हो , असंगठित क्षेत्र   हमारी सबसे बड़ी सचाई है । हालांकि अपनी  संरचना में बहुआयामी इस सेक्टर के महत्व  को हम नज़रअंदाज़ करते हैं और कमतर आंकते हैं । 
 
असंगठित क्षत्र की अवधारणा   घाना में कार्यरत ब्रटिश मानववैज्ञानिक कीथ हार्ट के अध्ध्य्यन से निकली है । इसके बाद 1970 के  दशक में में आईएलओ ने इस  अवधारणा में सम्मानीय कार्य का अवयव  समाहित किया और फिर काम के अधिकार , कार्य करने वालों के अधिकार , श्रम संगठनों  और सामाजिक   सुरक्षा के अधिकार  भी इस अवधारणा के साथ संलग्न होते गए लेकिन कुछ विद्वानों ने स्पष्ट किया कि  'असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र' की अवधारणा को सिर्फ आरती क्षेत्र तक ही सीमित रखना ठीक नहीं है । सामाजिक और सांस्कृतिक पर यह अवधारणा अपने निहितार्थ में अत्यंत व्यापक है । इसका केवल आर्थिक विश्लेषण समाज के अंदर व्याप्त  'अनौपचारिक' वास्तविकता के एक महत्वपूर्ण दायरे की अनदेखी करता है । 
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                                  नियमित
                                  लेख | 
                                     
                      
                                     
                                      | 
                                      
                                     झरोखा जम्मू कश्मीर का : कश्मीर में रोमांचकारी पर्यटन | 
                                     
                                    
                                      
                                  
                                  जम्मू-कश्मीर विविधताओं और बहुलताओं का  घर है| फुर्सत के पल गुजारने के अनेक तरकीबें यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेशुमार है| इसलिए अगर आप ऐडवेंचर टूरिस्म या स्पोर्ट अथवा रोमांचकारी पर्यटन में रूचि रखते हैं तो जम्मू-कश्मीर के हर इलाके में आपके लिए कुछ न कुछ है.
                                   
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