अंक: October 2014
 
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भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
भारतीय पर्यावरण कानून और जलवायु परिवर्तन
शिजू एम.वी.

भारत में पर्यावरण कानून काफी समृध्द और विकसित है| भारतीय संविधान विश्व के उन गिने-चुने संविधानों में से एक है, जिनमें पर्यावरण सरंक्षण के प्रावधान भी दिए गए हैं| 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के ज़रिये संविधान में जोड़ी गई धाराओं 48ए और 51ए(जी) के अंतर्गत पर्यावरण सरंक्षण का दायित्व राज्य और उसके नागरिकों पर डाला गया है| परंतु भारतीय पर्यावरण कानून का विकास टुकड़ो में हुआ है और यह अन्य कुछ घटनाक्रमों के फलस्वरूप प्रवर्तित हुआ है|

भारतीय पर्यावरण कानून के विकास के पीछे तीन घटनाओं की प्रमुख भूमिका रही है| स्टाँकहोम में 1972 में हुए संयुक्त राष्ट्र मानवीय पर्यावरण सम्मेलन ने पर्यावरण के क्षेत्र में अनेक कानूनों के निर्माण को दिशा प्रदान की| जल अधिनियम, वायु अधिनियम, वन सरंक्षण अधिनियम और पर्यावरण से संबंधित प्रावधानों को संविधान में सम्मिलित करना, इसके कुछ ज्वलंत उदाहरण है| भोपाल में 1984 में घटित गैस त्रासदी से भारतीय वैधानिक प्रणाली की अनेक खामियां सामने आई |

इस त्रासदी से पीड़ित लोग अमरीका और भारत की अदालतों में जो लड़ाइयां लड रहें हैं, वे इसी बात को साबित करतीं हैं| त्रासदी के फलस्वरूप अनेक कानून बनाए गए, जिनमें 1988 का पर्यावरण (सरंक्षण) अधिनियम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है|

रियो सम्मेलन, जो वर्ष 1993 में हुआ, उससे भी भारत के पर्यावरण परिदरश्य में कुछ वैधानिक हरक़त होती दिखाई दी| जैव विविधता अधिनियम, 2002 सम्मेलन में अपनाए गए जैव विविधता अभिसमय (कन्वेंशन) को क्रियान्वित करने के लिए बनाया गया था|

 
 
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