अंक: October 2014
 
Home     
DETAIL STORY
 
 
पृष्ठ कथा 
भारत निर्माता के प्रति
  आगे पढें ...
अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


आगे पढें ...
Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
फ़िल्म संगीत का बदलता संसार
राजीव विजयकर

किसी युग में सिनेमा कैसा हो - यह फ़ैसला समाज और सामाजिक मुद्दे करते हैं और सिनेमा यह तय करता है कि हम उसमें किस प्रकार का संगीत सुनें| कुछ भी हो, यह तय है कि फ़िल्मों में हम वह संगीत सुनते हैं, जिसका सरोकार समाज और उसके छटनाक्रम से होता है|

आज़ादी से पहले 1940 के दशक में फ़िलमकारों में उत्साह था और वे फ़ैसले लेने की क्षमता रखते थे| लेकिन वे '50 के दशक के मध्य तक कुछ निराश से हो गए| '60 के दशक में उनमें कुछ जीवंतता तब आई, जब सिनेमा में रंगीन फ़िलमों का समावेश हुआ| फ़िल्में हल्की-फुल्की हुई लेकिन उनमें समाज के प्रति विद्रोह और आक्रामकता पैठ गई| '70 और -80 के दशकों में अंतराष्ट्रीय घटनाक्रम फ़िल्मों पर असर डालने लगे और '90 के दशक में अर्थव्यवस्था विदेशियों के लिए खोल दी गई| सिनेमा भी इससे अछुता न रहा|

दूसरा मुद्दा यह है कि किसी भी वाणिज्यिक कला में मानक पक्ष होता है- सोचा-समझा तत्व| फ़िल्म किसी एक गाने या एक मुद्दे के चलते भारी कामयाबी हासिल कर सकती है और इनसे यह भी तय होने लगते हैं कि निकट भविष्य में किस प्रकार की फिल्में वनेंगी |

 

 

 
 
Regional Languages
Hindi
English
 
खबरें और झलकियाँ
नियमित लेख
झरोखा जम्मू कश्मीर का : कश्मीर में रोमांचकारी पर्यटन
जम्मू-कश्मीर विविधताओं और बहुलताओं का घर है| फुर्सत के पल गुजारने के अनेक तरकीबें यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेशुमार है| इसलिए अगर आप ऐडवेंचर टूरिस्म या स्पोर्ट अथवा रोमांचकारी पर्यटन में रूचि रखते हैं तो जम्मू-कश्मीर के हर इलाके में आपके लिए कुछ न कुछ है.
Copyright © 2008 All rights reserved with Yojana Home  |  Disclaimer  |  Contact